इकारान्तः पुल्ल्लिङ्गो हरिशब्दः (God ViShNu) | |||
वचनम् → | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
विभक्तिः ↓ | |||
प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
संबोधनप्रथमा | हे हरे | हे हरी | हे हरयः |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
पञ्चमी | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
षष्ठी | हरेः | हर्योः | हरीणाम् |
सप्तमी | हरौ | हर्योः | हरिषु |
एवम् अग्नि कवि रवि इत्यादयः
Note: Declension of पति is different from that of हरि for तृतीयाविभक्ति and beyond.
इकारान्तः पुल्ल्लिङ्गो पतिशब्दः (Master, Husband) | |||
वचनम् → | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
विभक्तिः ↓ | |||
प्रथमा | पतिः | पती | पतयः |
संबोधनप्रथमा | हे पते | हे पती | हे पतयः |
द्वितीया | पतिम् | पती | पतीन् |
तृतीया | पत्या | पतिभ्याम् | पतिभिः |
चतुर्थी | पत्ये | पतिभ्याम् | पतिभ्यः |
पञ्चमी | पत्युः | पतिभ्याम् | पतिभ्यः |
षष्ठी | पत्युः | पत्योः | पतीनाम् |
सप्तमी | पत्यौ | पत्योः | पतिषु |
इकारान्तः पुल्ल्लिङ्गो सखिशब्दः (Friend) | |||
वचनम् → | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
विभक्तिः ↓ | |||
प्रथमा | सखा | सखायौ | सखायः |
संबोधनप्रथमा | हे सखे | हे सखायौ | हे सखायः |
द्वितीया | सखायम् | सखायौ | सखीन् |
तृतीया | सख्या | सखिभ्याम् | सखिभिः |
चतुर्थी | सख्ये | सखिभ्याम् | सखिभ्यः |
पञ्चमी | सख्युः | सखिभ्याम् | सखिभ्यः |
षष्ठी | सख्युः | सख्योः | सखीनाम् |
सप्तमी | सख्यौ | सख्योः | सखिषु |