षकारान्तः पुल्लिङ्गो रत्नमुट्छब्दः( one who steals gems) | |||
वचनः → | एकवचनः | द्विवचनः | बहुवचनः |
विभक्तिः ↓ | |||
प्रथमा | रत्नमुट् | रत्नमुषौ | रत्नमुषः |
संबोधनप्रथमा | हे रत्नमुट् | हे रत्नमुषौ | हे रत्नमुषः |
द्वितीया | रत्नमुषम् | रत्नमुषौ | रत्नमुषः |
तृतीया | रत्नमुषा | रत्नमुड्भ्याम् | रत्नमुड्भिः |
चतुर्थी | रत्नमुषे | रत्नमुड्भ्याम् | रत्नमुड्भ्यः |
पञ्चमी | रत्नमुषः | रत्नमुड्भ्याम् | रत्नमुड्भ्यः |
षष्ठी | रत्नमुषः | रत्नमुषोः | रत्नमुषाम् |
सप्तमी | रत्नमुषि | रत्नमुषोः | रत्नमुट्सु, रत्नमुट्त्सु |
षकारान्तः पुल्लिङ्गो दोश्शब्दः( fore-arm) | |||
वचनः → | एकवचनः | द्विवचनः | बहुवचनः |
विभक्तिः ↓ | |||
प्रथमा | दोः | दोषौ | दोषः |
संबोधनप्रथमा | हे दोः | हे दोषौ | हे दोषः |
द्वितीया | दोषम् | दोषौ | दोषः, दोष्णः |
तृतीया | दोषा, दोष्णा | दोर्भ्याम्, दोषभ्याम् | दोर्भिः, दोषभिः |
चतुर्थी | दोषे, दोष्णे | दोर्भ्याम्, दोषभ्याम् | दोर्भ्यः, दोषभ्यः |
पञ्चमी | दोषः, दोष्णः | दोर्भ्याम्, दोषभ्याम् | दोर्भ्यः, दोषभ्यः |
षष्ठी | दोषः, दोष्णः | दोषोः, दोष्णोः | दोषाम्, दोष्णाम् |
सप्तमी | दोषि, दोष्णि, दोषणि | दोषोः, दोष्णोः | दोष्षु, दोर्षु, दोषसु |
षकारान्तः पुल्लिङ्गः पिपठीश्श्ब्दः( one who desires to study) | |||
वचनः → | एकवचनः | द्विवचनः | बहुवचनः |
विभक्तिः ↓ | |||
प्रथमा | पिपठीः | पिपठिषौ | पिपठिषः |
संबोधनप्रथमा | हे पिपठीः | हे पिपठिषौ | हे पिपठिषः |
द्वितीया | पिपठिषम् | पिपठिषौ | पिपठिषः |
तृतीया | पिपठिषा | पिपठीर्भ्याम् | पिपठीर्भिः |
चतुर्थी | पिपठिषे | पिपठीर्भ्याम् | पिपठीर्भ्यः |
पञ्चमी | पिपठिषः | पिपठीर्भ्याम् | पिपठीर्भ्यः |
षष्ठी | पिपठिषः | पिपठिषोः | पिपठिषाम् |
सप्तमी | पिपठिषि | पिपठिषोः | पिपठीःषु, पिपठीष्षु |